09/03/2009

होली की शुभकामनाएं

टेसू के सिरे दहकने लगे है....आम भी बौराया हुआ है....कड़वे नीम के फूलों की नशीली सी खुशबु हवा के झोकों को साथ आँगन में शाम से आ धमकती है.... वसंत का यौवन शबाब पर है....दिन थोड़ा नकचडा हो आया है.... सुबह तो पलाश की तरह सिंदूरी हो चली है....शाम 'हम दिल दे चुके सनम' फ़िल्म की नंदिनी के दुपट्टे की तरह लम्बी...... हो चली है, जिसके सुदूर सिरे पर सुलगती से रात उतरती है.....रात का आँचल सिकुड़ गया है....दिन लंबा होकर हरिया गया है.....छत की मुंडेर पर पड़े रंग वासंती बयार में उड़ कर फैल जाना चाहते है....आसमान के साथ ही प्रकृति भी रंगों से खेल रही है....तो फिर हम क्यों नहीं....? टेसू, आम और नीम के ही साथ....बोगनबेलिया.....गुडहल और गुलटर्रा पर भी फागुन चढा है.....देखो तो कैसे-कैसे रंग निकल आए है.....आँगन में तो फागुन अपने जोडीदार वसंत के साथ धमाल मचाये है। यूँही तो होली नहीं मनाई जाती है....जब मन में तरंग उठती है.....जब सारे बंधन तोड़ कर मन का करने का मौसम आता है...जब प्रकृति अपने सबसे मादक रूप में दिखाई देती है....जब सब जगह रंग ही रंग होते है, जब मन भी रंगों से सराबोर होता है तो फिर तन ही क्यों छुट जाए? तो तन, मन और मौसम से ताल मिलाएं और फाग की थाप पर आनंद की तान सुनाये.....प्रेम...खुशी और सदभावना के रंगों से होली खेले और मनाये.....सभी को होली के मुबारकबाद......

3 comments:

  1. आपको होली की शुभकामनाएं.
    नीरज

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  2. प्रकृति और होली को गांव के परिवेश में शब्दजाल के माध्यम से जो रूप आपने चित्रित किया । अपना गांव याद आ गया । शुभ कामनायें और होली की बधाई बहुत बहुत ।

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  3. aap to lagta hai in dino kudrat ke sath rah rahi hain.badhai.

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