अगली सुबह जम्पोर के रेतीले बीच की सैर के लिए निकले.... सूरज बस आसमान पर धीरे-धीरे चहलकदमी करते हुए आधे आसमान पर पहुँच चुका था.... लेकिन समंदर मोर्निंग वाक पर था और बच्चे उसके आँगन में धमाचौकडी मचा रहे थे.... रेत पर हांलाकि समंदर के क़दमों के निशान बाकी
थे....
सुबह जब हम नानी दमन बीच पर पहुंचे दूर तक पत्थर नजर आ रहें थे.... न समंदर नजर आ रहा था न ही उसके निशान थे.....थोडी देर बाद भेल वाले ने बताया की अभी समंदर भी तफरीह के लिए गया हुआ है और बस आधे घंटे में लौट आएगा...हमने भी सोचा कि अब इतनी दूर आए है तो उससे मिल कर ही जायें...
लहर दर लहर वो आपके पास आता है... चिढाता...खिजाता और फिर मनाता रहा...हम भी उससे रूठने का नाटक करतें रहें.....बस यूँ ही रुठते मनाते शाम हो गई और विदाई का समय आ खड़ा हुआ...फिर वह धीरे-धीरे दूर और दूर होता चला गया और आख़िर में आंखों से ओझल हो गया बस कारवां गुजर गया गुबार देखते रहें.........
लहर दर लहर वो आपके पास आता है... चिढाता...खिजाता और फिर मनाता रहा...हम भी उससे रूठने का नाटक करतें रहें.....बस यूँ ही रुठते मनाते शाम हो गई और विदाई का समय आ खड़ा हुआ...फिर वह धीरे-धीरे दूर और दूर होता चला गया और आख़िर में आंखों से ओझल हो गया बस कारवां गुजर गया गुबार देखते रहें.........
बड़े ही दिलचस्प अंदाज मे लिखा है ।
ReplyDeleteरोचक लगी दमन की बातें ..थोड़ा और विस्तार से लिखे ..अच्छा लगा यह
ReplyDeleteबहुत रोचक..प्रवाहमय.
ReplyDeleteबड़ी मोहनी है लेखनी में
ReplyDelete---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम
ताज़गी भरी पोस्ट रही।
ReplyDeletepls write more
ReplyDeletemosem kaisa tha...... ?
ReplyDeleteहम यह सोच कर आए थे की दमन के बारे में कुछ बातें होंगी पर आप तो बस समुंदर से ही जूझते रहे. कुछ भी नहीं लेकिन बहुत कुछ. सुंदर पोस्ट है. आभार.
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