15/10/2009
गुम हो चुकी लड़की....छठी कड़ी
गतांक से आगे....
प्लेन से उतर कर एयरपोर्ट पर आते ही रिज़वान दिखाई दे गया जोर-जोर से तख़्ती हिलाता हुआ। मैं तेजी से उसकी तरफ पहुँचा तो वह तपाक से गले लग गया। मैंने हँसते हुए कहा-- वहाँ जर्मनी में भी तुम ऐसे ही मिले थे मुझे तख़्ती हिलाते हुए, तब मैं तुम्हें और तुम मुझे नहीं जानते थे....लेकिन आज ये क्यूँ? अब तो हम दोनों एक दूसरे को जानते हैं।
उसने हँस कर कहा--- दुनिया की भीड़ में कहीं तुम मुझे अनदेखा न कर दो, इसलिए...।
रिज़वान से मैं जर्मनी में ही मिला था, वहाँ वह कंपनी का काम मुझे हैंडओवर कर हिंदुस्तान लौट रहा था, उसके ही फ्लैट में फिर अगले पाँच साल मैं रहा था। मुझे 15 दिन की छुट्टी मिली थी, फिर बैंगलूरू ज्वाइंन करना है। आज तो पहुँचा ही हूँ.... कल हेडऑफिस रिपोर्ट करूँगा, फिर घर चला जाऊँगा....। रिज़वान मुझे अपने सातवीं मंजिल स्थित फ्लैट में पहुँचाकर ऑफिस चला गया और कह गया कि सात बजे आऊँगा.... फिर पार्टी में चलेंगे।
फ्रेश होकर खाना खाया थोड़ी देर टीवी देखा फिर लगा कि नींद आ रही तो सो गया। शाम को रिज़वान ने ही उठाया, वह पाँच बजे ही आ धमका...। दोनों ने चाय पी इधर-उधर की बातें की, फिर उसने पार्टी में जाने की बात कही, मैंने उससे कहा-- तुम चले जाओ, मैं यहीं रहूँगा।
उसने इसरार किया।--- मेरी गर्लफ्रैंड की बर्थ-डे पार्टी है, चल मजा आएगा तुझे।
मैंने रहस्य से उसकी ओर देखा... पहली या....!
वह मुस्कुराया- नहीं दुसरी....
पहली का क्या हुआ....?
चली गई स्टेट्स...।
और ये क्या करती है?
शी इज स्ट्रगलर एक्ट्रेस...एकाध टीवी सीरियल में छोटा-मोटा काम मिला है।
शादी करने का इरादा है?
करना तो चाहता हूँ, लेकिन वह नहीं चाहती है।
क्यों...?
कहती है अभी मैंने किया ही क्या है? फिर डर भी लगता है, अभी तो वह स्ट्रगल कर रही है, सक्सेसफुल हो जाने के बाद क्या वह मुझ जैसे प्रोफेशनल के साथ रहना पसंद करेगी....? फिर सोचता हूँ, यदि वह हम आज शादी कर लें और उसके सक्सेस होने के बाद हम निभा नहीं पाए तो....? इसलिए फिलहाल तो कुछ भी नहीं सोच रहा हूँ.... बस लाइफ इंजाय कर रहा हूँ। चल तैयार हो, बहुत हो चुकी बातें...., अभी तो तुझे चार दिन और रूकना पड़ेगा। यह कहने के लिए मल्टीनेशनल है... काम तो सरकारी गति से ही होता है यहाँ।
पार्टी हॉल में तेज रोशनी....तेज संगीत के बीच रिज़वान ने शब्दा और कुछ और दोस्तों से मिलवाया, फिर मैंने उससे पार्टी इंजाय करने का कहकर ड्रिंक लिया और एक कोना पकड़ लिया। आते-जाते, नाचते-हँसते एक दूसरे से मिलते बतियाते लोगों को देखते हुए मेरी नजर एक लड़की पर ठहर गई... वह डांस फ्लोर पर थी.... लगा कि इसे मैं जानता हूँ। पता नहीं कैसे उसने भी मुझे देखा और आश्चर्य से मेरी ओर देखकर हाथ हिलाया और मेरे सामने आकर खड़ी हो गई।
कब आए हिटलर के देश से....?---उसी तरह के तेवर से पूछा।
हिटलर का देश...!--- मैंने हँस कर कहा।- अब तो वो लोग भी उससे पीछा छुड़ाना चाहते हैं, तुम क्यों उन बेचारों के पीछे पड़ी हो?
मैंने उसे इस बीच देखा...लड़कों की तरह कटे हुए बाल... गहरा मेकअप और काले रंग के स्ट्रेप टॉप के साथ उसी रंग का टाईट स्कर्ट और पेंसिल हील.... बहुत बदली और अपरिचित लगी वह मुझे।
इतिहास से कभी भी भागा नहीं जा सकता....वो गाना नहीं सुना... आदमी जो कहता है, आदमी जो करता है जिंदगी भर वो दुआएँ पीछा करती है....संदर्भ से समझना... खैर तुम क्या गाना-वाना समझो तुम तो औरंगज़ेब हो....।--- उसने कहा।
अरे, पहले हिटलर, फिर औरंगज़ेब....क्या इन दिनों बहुत इतिहास पढ़ रही हो....तुम तो साहित्य की स्टूडेंट थी।
दुनिया में कुछ भी साहित्य से बाहर नहीं है, खैर हम फिर से नहीं झगड़ेंगे। तुम यहाँ कब आए....?
आज ही, और तुम यहाँ क्या कर रही हो?
बस यूँ ही सीरियल लिख रही हूँ, तुम ठहरे कहाँ हो?
रिज़वान के घर... दो-एक दिन में घर जाऊँगा।
क्यों नहीं तुम कल मेरे साथ डिनर करो.... बातें करेंगे। कुछ इतिहास याद करेंगे।
बिना कुछ सोचे मैंने उसे डिनर के लिए हाँ कर दी।
क्रमशः
निवेदनः इस लंबी कहानी को शुरू किया था तो इसका रंग-रूप कुछ दूसरा था....लेकिन पहली ही कड़ी के बाद मुझे यह अहसास हो गया था कि यह कहानी मैं नहीं लिख रही हूँ......यह मुझसे लिखवाई जा रही है। पात्रों को खड़ा करते ही वे मेरी गिरफ्त से बाहर हो गए और अपने-अपने रास्ते चल पड़े। इसलिए यह वैसी नहीं बन पाई जैसी मैं इसे बनाना चाहती थी। अब चूँकि अगली कड़ी में इस कहानी का समापन होने जा रहा है, मै अपने उन पाठकों से जो इसे लगातार पढ़ रहे हैं, निवेदन करना चाहूँगी कि, अब तक की कहानी को पढ़ने में उनके मन में जो चित्र बने हैं, उस आधार पर अपने कमेंट में वे यह बताएँ कि इसका अंजाम उनकी नजर में क्या हो सकता है? इस बात के लिए निश्चिंत रहें कि इससे कहानी के अंत पर कोई फर्क नहीं पड़ने जा रहा है। इस सारी कवायद का उद्देश्य मात्र मेरा लेखक (मात्र शब्द है, यहाँ भाव नहीं है) होने को रेटिंग देना है।
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बहुत ही मार्मिक वर्णन किया है आपने। आगे की कडियों का इंतजार रहेगा।
ReplyDeleteधनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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shayad aakhiri me dono bhai-bahan niklege.
ReplyDeletedear amita, ladki gum hona bhi chahe to chahane wale use gum nahi hone dete hai.
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